ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
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ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
चेहरा तेरा आंखों में बसे
ख्याल तेरा मेरे दिल में रहे।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी ?
जितना भूलू इसे !
उतनी तेरी याद आए ।।
दुष्मन भी टेके घुटना अपना।
जिसके लाल ने - देश के लिए - दी अपनी जान है।
भारत देश करे तुझको नमन।।
बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना कर पाएंगे ,
पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे ।
मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,
वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा।
एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,
झूठी ही सही दिला देना आस ।।
कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,
वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।।
मेरे इश्क़ ने तुझे खुदा बना दिया !
जो कह न सके किसी से कभी ,
तुझसे कह दिया !
अब और क्या कहे हमसफ़र मेरे ,
तेरी चाह में हमने खुद को भुला दिया।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है।
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है । ।
छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?
आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे।
ऐसी भी क्या बात जो इतना खफा हो !
इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।।
हर शुरुवात कठिन होगी
हर रास्ते पे ठोकरे होंगी।
है इसी का नाम ज़िन्दगी !
आगे बढ़ के ही जीत हासिल होगी । ।
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क्यों इतना मजबूर है
हाथ कलम है मेरे पर शब्दों से दूर है ।
क्यों इतना मजबूर है
रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।
क्यू इतना मजबूर है
करीब है तेरे पर नज़रों से दूर है।
क्यों इतना मजबूर है
मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
मोती की तरह सीप से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है । । ।
फेयरवेल - विदाई समारोह |
सर जी , ...................
आपके साथ बीते जो दिन वो यादगार बन गए
आपका साहसी , संकल्पी और दृढ़ निश्चयी अंदाज़
आपकी पहचान बन गए
स्टाफ के साथ मिलके रहना
आशावादी होना और हमेशा खुश रहना
आप तो दूसरों के लिए मिसाल बन गए।
आँखें है नम और सबको है गम
आपका साथ हमारे लिए था एक उजली किरण
पारस हो आप , चेहरे पे एक तेज लिए हुए
कम न हो जिसका शौर्य ऐसी हस्ती लिए हुए ।
आपके साथ काम किया ये किस्मत है हमारी
फेयरवेल के दिन आपके है विनती हमारी
हो आपकी उन्नति हमेशा और मिले कामयाबी
सर , आपको सलाम है
आपके साथ काम करना हम सबके लिए अभिमान है
धन्यवाद
दुःख - दर्द |
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ये दर्द सुकून देता है
ये तकलीफ भली लगती है
इस दुःख से शिकायत कैसी ,
ये ख़ुशी जान लेती है।
ये दर्द जिया है मैंने
इसकी अब मुझको आदत है
न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,
जो सिर्फ सुनाई देती है।
हाँ , जी है मैंने थोड़ी से
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी
फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,
जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है |
में सुखी खुद को समझाता हूँ
जो दुःख मेरे संग रहता है
में इसको खूब समझाता हूँ ,
ये मुझको खूब समझता है ।
मैंने अब इससे दोस्ती कर ली
ये मुझको प्यारा लगता है
ये नहीं रहता जब पास मेरे ,
कुछ खाली खाली लगता है
दोस्तों सच पूछो तो
दुःख मेरा सच्चा साथी है
मेरे सारे संगी छूट गए !
बस इसकी यारी बाकी है।
ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,
जब दुःख का पलड़ा भारी है ।।
MisVi Poetry |
अयोध्या- सियाराम कथा |
हुआ राम सीता का ऐसा मिलन !
देख कर रह गए सब उनको मगन ।
रूप का एक सागर माँ जनक नंदनीं
और कमल नयन अपने श्री राम जी । ।
हुआ ब्याह राम जी का सीता के संग
पर संजोग ऐसा , मिला चौदह साल का वन !
सिया राम संग लक्ष्मण भी वन को चले ।
छोड़ कर मोह , माया और अयोध्या को तज । ।
बचपन की राहें |
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कोई बता दे इस दिल को कैसे अब में सँभालू
फिर कैसे इसको कैद करूं फिर कैसे इसको मना लूं
कैसे पूरी करूं यह ख्वाहिश फिर से बचपन जी पाने की
फिर से गुड्डी गुड्डू के संग रेत के महल बनाने की
फिर वापिस उन गलियों में जाके खो जाने की
और दिन भर खेल खेल के वापिस थक के सो जाने की
बचपन की राहें पीछे छूटीं सब चेहरे अब अनजाने हैं
जो जाने पहचाने लगते थे अब बस वो अफ़साने हैं
फिर भी दिल को समझाती हूँ के समय हैं पीछे छूट गया
तू आज भी छोटा बच्चा है जब तेरा बचपन बीत गया
अब भूल जा सारी यादों को जो सिर्फ तुझे याद आती है
आ जिले अब इस पल को जिसमें जीवन बाकी है
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...