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लिखना है पर शब्द कहाँ है
सोचते है पर ध्यान कहाँ है
कोई बता दे हुआ क्या है
हम है यहाँ पर दिल कहाँ है ?
है एक सन्नाटा पसरा हुआ
हर कोना अकेले में बसा हुआ
कोई बता दे ये आलम क्या है
हम है मौन बाकियुओं को हुआ क्या है ?
सब रास्ते है रुके हुए
पर भीड़ में सब चल रहे
कोई बता दे जाना कहाँ है
हम है तैयार अब जीना कहाँ है ?
है एक धुंध छायी हुई !
हर शख्स को भरमाई हुई
कोई बता दे ये नियति क्या है
जिंदगी तो ठीक है
कल का भरोसा क्या है !
Waah mazaa aa gaya
ReplyDeleteYes
DeleteWow poem
ReplyDeleteWaah
ReplyDeleteYou have written a reality of life....
ReplyDeleteI really your poem
ReplyDeleteVery well explained...today's life
ReplyDeleteआपने अपनी इन पंक्तियों से आज के इस भागदौड़ का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है।
ReplyDeleteसतीश।
Shukriya Jii :)
Deleteअब जीना कहाँ है
ReplyDeleteजाना कहाँ है
Thanku all :)
ReplyDeleteBahut sundar didi
ReplyDeleteSach me great poem......
ReplyDeleteAap hmari filings kese smjh jate ho...,😘.....k
कोई बता दे * ये नियति क्या है ?
ReplyDeleteजिंदगी तो ठीक है !! कल का भरोसा क्या है ?
Every time.. I feel like reading this poem
Thanku All :-))
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