तेरे संग |
** तेरे संग **
विश्वास नहीं दिला सकते
जो सच है उसे झुठला नहीं सकते
निकाल कर देदे अगर जान अपनी
तो भी तेरे प्यार की कीमत चुका नहीं सकते
अपनी दूरियों का हिसाब लगा नहीं सकते
क्या - क्या नाम मिले तेरा होके बता नहीं सकते
तुमसे ही तुम्हारे जाने की शिकायत करनी है
पर तुमको अब वापिस बुला नहीं सकते
कह सकते तो बस इतना कहते
इन फ़ासलो को कम करते
तुम साथ देते अगर
तो आज हम संग होते है
**************
Wow amazing 👏👏
ReplyDeleteAnu
विश्वास नहीं दिला सकते
ReplyDeleteतेरे प्यार की कीमत चुका नहीं सकते
दूरियूं का हिसाब लगा नहीं सकते
अब इसे झुटला नहीं सकते।
अब इसे झुटला नहीं सकते।
ReplyDeleteक्या - क्या नाम मिले ! तेरा होके ! बता नहीं सकते । ......SO DEEEEP
ReplyDeleteNO words YAAR.....
ReplyDeleteअब तक कि सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक आपकी ये रचना है।
ReplyDeleteआपकी कविता ने तो इस प्रकार से वार किया है कि बहित कुछ कहना चाहता हूं लेकिन न जाने क्यों इस बार निःशब्द कर दिया।
सतीश
मैं आप कि बातो का समर्थन करता हूं
DeleteAapki poem bhot hi khubsurat hai..❤️❤️
ReplyDeleteजो सच है * उसे झुठला नहीं सकते।
😜🥰👍
💯
ReplyDeleteJust in love with your poetries❤❤❤
ReplyDeleteNice one
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ReplyDeleteविश्वास नहीं दिला सकते
जो सच है, उसे झुठला नहीं सकते।
तुझे खोया है पाकर हमने…..
अब खुद को खोकर भी ,तुझे पा नहीं सकते।।..
Thank you all for your valuable feedbacks..:)
ReplyDeletekya likhte hoo app...
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