Tuesday, September 07, 2021

रंगत -




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तेरे आने से जो रौनक है 

चेहरे पे आयी गुलाबी रंगत है

है नूर सब जगह छिटका हुआ 

और मन मेरा है मयूर हुआ 


दिल में है जो कहना है तुमसे 

आज फिर खुदको छुपाना है तुममे 

तेरी आँखों में देखी है तस्वीर अपनी

तुझको भी तो खुद को पाना है मुझमे 


ज़ादा कुछ नहीं चाहा है तुमसे 

बस जीना है मुझको तुम्हारा बनके




13 comments:

  1. Sch me bss jina fir se tera hoke..... Bhot hi umda khubsurat khyal likhe hai aapne poem me..😜......k

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  2. आपकी कविता की गुलाबी रंगत सब जगह छा गई😍😍

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  3. ज़ादा कुछ नहीं चाहा है तुझसे !

    बस फिर एक बार..

    जीना है तेरा होके।। पर मेरी रगत बिगड़ गई

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  4. बहुत खूब बहुत अच्छी लगती हैl जब आप आप कि कविता पढ़ता तो चेहरे पे खुशी मन मे उत्साह जागृत हो जाती है
    R k

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  5. बहुत बढ़िया 👌👌👌

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