Friday, September 03, 2021

Short Poetry on भ्रम * # Doubt # Acceptations

  भ्रम   
 
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सोचा था संभाल लोगे तुम 

इल्म न था के मुड़के भी न देखोगे तुम 

कमबख्त , आज भी दिल को समझाते है हम 

जीवन है बड़ा कभी तो लौट के आओगे तुम।



 

7 comments:

  1. लिखने को तो बहुत आतुर हूं पर डर भी ज्यादा गलता है। आप कि इतनी सुंदर रचना है,👌❤️✍️

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  2. बहुत बढ़िया।
    उम्मीदें जीवन मे हमेशा रहती है।

    सतीश।

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  3. Wow..adat ho ri hai tumhari poetry ki Vinita

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