** बेक़रार **
हो गया है प्यार अब
दलीले देना बेकार है ,
कोई सूरत नज़र आती नहीं
आईना देखना बेकार है।
है आंखों से नीद गयी
सपने देखना बेकार है ,
सब मुझको फरेब लगे
अब होश में आना बेकार है ।
आदत है अब बिगड़ गयी
शिकायत करना बेकार है ,
तेरे बिन मेरा जीना
लगता मुझको दुश्वार है । ।
By Vinita
Bahut sundar ye to hona hi tha
ReplyDelete:))
DeleteAchi kavita hai ......apko ek blogspot banana chahiye.......I really loved it.
ReplyDeleteThanks dear, but I am already a blogger as per your wish ...:))
DeleteWoah 🤩
ReplyDeleteआप बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आप हम सबकी गौरव हैं आप हम सबकी अभिमान हैं,👌✍️ राम राम
ReplyDeleteरविंद पाण्डेय
Ram Ram Jii, thanks :))
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