Thursday, September 23, 2021

अल्फ़ाज़ - Language of LOVE

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अल्फ़ाज़






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 ऐसे ही बस कुछ नहीं  

क्या है  कोई बात नहीं  

शायद सही  पता नहीं 

और बताओ कुछ नहीं 

इन्ही शब्दों से है 

पहचान हमारी होते इन्ही से 

दिन शुरू और रातें ख़तम हमारी

क्या बोलू  और क्या सोचूँ  

बस यार  ! 

तुम सही  सारी गलती हमारी 

अब खुश  

यही  है  अल्फ़ाज़ हमारे 

तुम से शुरू और 

और  तुमपे ही ख़तम सारे !

 

11 comments:

  1. यही है * अल्फ़ाज़ हमारे

    तुम से शुरू और

    तुमसे पे ही ख़तम सारे
    पहचान हमारी !

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  2. आप कि हर बाते दिल को छू के ही निकलती है बहुत सुंदर लिखती हो l

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  3. Sahi kha aapne bss apne glti na hokr bhi apni manlo to sb khus ho hai... Aapki poem me aajkal ka jo pyar h vo yhi ho gya h....👍👍

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  4. क्या खूब लिखा हैI👏👏👏

    जिसे रिश्ता बचने की चाहत होती है।
    उसे बिना गलती के माफ़ी माँगने की आदत हो जाती है।

    सतीश।

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