वही शाम - Memories |
चली है फिर तेरे यादो की आँधी***************************************
और साथ ले आयी वही शाम पुरानी
और तेज़ हो गयी ये धड़कने हमारी
फिर कैद कर लिया तेरे साये ने मुझको
और तेज़ हो गयी ये धड़कने हमारी
रह गए सब अरमान सीने में दबकर
साथ रह गयी है बस कहानियां हमारी
फिर पुकारा है किसी ने नाम से तुम्हारे मुझको
है अब तुम्हारे नाम से ही पहचान हमारी।
kya bat hi didi
ReplyDeleteV nice
ReplyDeletenice poem
ReplyDeleteआप के कविता का भाव दिल को हिला देता है इतनी भाव पूर्ण लिखना भी ठीक नही जो हर किसी पर लागू हो l
ReplyDeleteरविन्द्र पाण्डेय
Thanks😊😊
DeleteHow creative you are 🤩
ReplyDeleteThnx dear
DeleteHamen bhi Vahi Sham Yad a gai
ReplyDeleteBahut sundar 👌🏻❤❤👌🏻
ReplyDeleteGood
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