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ये सादगी जो मन मोह लेती हैक्या आना होगा कभी
जो सड़के रुख मोड़ लेती है
क्या पता छोटी है ज़िन्दगी बड़ी
मिल जाओ तुम भी कही
क्या पता फिर चर्चा हो तेरे नाम का
क्या पता फिर चर्चा हो तेरे नाम का
और बयान हो हाल फिर अपने हाल का
फिर चले हम किसी नए सफर पे
जीवन की इस लम्बी डगर पे
फिर शुरू एक नया सिलसिला रहे
फिर शुरू एक नया सिलसिला रहे
मुझे तुझसे और तुझे मुझसे
फिर कोई भी जुदा न करे।
वाह वाह क्या बात हैI
ReplyDeleteसिलसिला ये यूँ ही चलता रहेगा।
सतीश।
Jii..zarur
DeleteDeep Poem
ReplyDeleteNice poem..
ReplyDeleteAapki poems ka silsila ese hi chltq rhe,🌹😊..,...k
❣❣
DeleteV nice didi ये सादगी - जो मन मोह लेती है,
ReplyDeleteक्या आना होगा कभी ?
जो सड़के ..रुख मोड़ लेती है।
क्या पता ! छोटी है ज़िन्दगी बड़ी !
कभी मिल जाओ , तुम भी कही।
क्या पता फिर - चर्चा हो तेरा नाम का ,
और बयान हो हाल .. फिर अपने हाल का।
फिर चले * हम किसी नए सफर पे
जीवन की इस लम्बी डगर पे।
फिर शुरू..एक नया सिलसिला रहे ,
मुझे तुझसे और तुझे मुझसे
फिर कोई भी जुदा न करे।।
Thnks😊😊
Deleteवाह वाह आप कि भी रचना भी किस किस सुंदर भाव मे किया हो गा
ReplyDeleteजिसकी रचना इतनी सुंदर ओ कितना सुंदर होगा R K Pandey
Shukriya
Deleteआप कि कविता तो मन मुग्ध कर देता है
ReplyDeleteये कैसी सिलसिला है,? सुंदर भाव
Thank you
Deleteकया खूब वर्णन करती हैं
ReplyDeleteआप अपनी कल्पनाओं का ,
दुआ है ये सिलिसिला कभी न रुके
आपकी अद्भुद रचनाओं का ।। 👏💞
❤
DeleteSo creative❤️
ReplyDeleteThnks bhabhii😊
DeleteNazar na lage...Impressed with u
ReplyDeleteJust need your blessings🙏🙏😊
Deleteअति सुन्दर 👌👍
ReplyDelete☺
DeleteYe Silsila Yuhi chalta Rahe
ReplyDelete:))
ReplyDelete❤❤
ReplyDelete👍🏼👌👌
ReplyDeleteMy favourite
ReplyDeleteV nice
ReplyDeleteBeautiful silsilla ..
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