Thursday, August 19, 2021

मोह्हबत है | हिंदी कविता | Love Poetry On accepting Love & Relationship | Valentine's day Poetry |

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 मोह्हबत है 


   




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दस्तक देती एक आहट है। 
क्या अब भी हमें मोह्हबत है ?
दिल कहता है तुझसे मिल आउ !
क्या तेरी भी यही चाहत है 

तेरा साथ बहुत भाया है मुझे 
काफी समय साथ बिताया हमने 
ये अंदाज़ा मेरा गलत होगा
के - तू भूल गया है मुझे

अब आहट पे यकीं हो चला 
कोई है जो मुझसे कह रहा
क्या अब भी तू मेरे साथ है 
हाँ ! कह दिया मैंने 
तेरी परछाई की आदत है

है फिर महसूस किया ,
हर रूप में तेरा रूप दिखा
हाँ मुझको यकीं ये हो गया 
के मुझको तुझसे मोहब्बत है
और तुझको भी मेरी ज़रूरत है।।                                     

11 comments:

  1. Humein aapki zrurat hai ,
    Kyuki aapki kavita badi khoobsurat hai !!💖

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  2. sab kuch to keh hi diya ham kya kahe... bss aapki poems ki jarurt hai..... :) k








    k

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  3. बहुत खूब👏👏👏

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  4. Hamen bhi aap ki parchhaiyan ki Aadat hai🤩🤩

    ReplyDelete
  5. महसूस किया ,
    हर रूप में तेरा रूप दिखा।

    हाँ , मुझको यकीं ये हो गया !

    के, मुझको तुझसे मोहब्बत है।

    और - तुझको भी मेरी ज़रूरत है।।
    मां सरस्वती कि कृपा आप पर बनी रहे।
    रवींद्र पाण्डेय

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