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मोह्हबत है |
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दस्तक देती एक आहट है।क्या अब भी हमें मोह्हबत है ?
दिल कहता है तुझसे मिल आउ !
क्या तेरी भी यही चाहत है
तेरा साथ बहुत भाया है मुझे
काफी समय साथ बिताया हमने
ये अंदाज़ा मेरा गलत होगा
के - तू भूल गया है मुझे
अब आहट पे यकीं हो चला
कोई है जो मुझसे कह रहा
क्या अब भी तू मेरे साथ है
हाँ ! कह दिया मैंने
तेरी परछाई की आदत है
है फिर महसूस किया ,
हर रूप में तेरा रूप दिखा
हाँ मुझको यकीं ये हो गया
के मुझको तुझसे मोहब्बत है
और तुझको भी मेरी ज़रूरत है।।
Humein aapki zrurat hai ,
ReplyDeleteKyuki aapki kavita badi khoobsurat hai !!💖
💜💜
Deletesab kuch to keh hi diya ham kya kahe... bss aapki poems ki jarurt hai..... :) k
ReplyDeletek
Sure K! I'll write more for you🙂
DeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत खूब👏👏👏
ReplyDeleteHamen bhi aap ki parchhaiyan ki Aadat hai🤩🤩
ReplyDeleteSupar didi
ReplyDeleteमहसूस किया ,
ReplyDeleteहर रूप में तेरा रूप दिखा।
हाँ , मुझको यकीं ये हो गया !
के, मुझको तुझसे मोहब्बत है।
और - तुझको भी मेरी ज़रूरत है।।
मां सरस्वती कि कृपा आप पर बनी रहे।
रवींद्र पाण्डेय
👏👏
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