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*** कृष्ण लीला ***
इतनी सरल नहीं
ये प्रेम की गलियां है
क्या मोल दोगे तुम !
यहाँ सब कृष्णा लीला है ।
न काला है न गोरा है
यहाँ बस प्रेम का रंग है।
तू रंगेगा इसी रंग में
जो प्यारे श्याम का रंग है।
ना हार है ना जीत है !
बस कृष्ण के संग प्रीत है
जो रमता इनकी भक्ति में ,
मिलता उसको मन का मीत है।
ना तेरा है ना मेरा है
ये जीवन उसकी रचना है
तू क्या जाने उस छलिया को !
जो सबके दिल पे छाया है।
न खोना है न पाना है
यही सबकुछ रह जाना है।
तू कौन ? तेरी पहचान क्या ?
ये तो ईश्वर की काया है।
जो होना है वही होगा
यहाँ सब उसकी माया है
क्यों सोचना इतना !
जब सर पे उसकी छाया है।।
मन मोहक कृष्ण लीला 👏👏
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteRadhe Radhe,🙏aapki poem padh ke ,, "mera man Brindavan me kho gya"
ReplyDeleteThanks for your wishes & appreciation.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकृष्ण का वर्णन करने को तो
ReplyDeleteशब्दों का महासागर भी कम है,
पर इस कविता की तुलना किस्से करें ?
जब आपकी भावनाओं में इतना दम है।। 😇👼
Thanks Anushree :))
DeleteAdbhut rachna!!!👍👍
ReplyDelete:))
Deleteसत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
ReplyDeleteमीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस पायो।।
, thank you
DeleteAdorable msg
Deleteवाह बहुत बढ़िया लिखा हैI
ReplyDeleteDear Friends and unknowns***Please write your names aswell.
ReplyDeleteI really want to know.. Thanks :))
God Bless You Always🤗🤗
ReplyDeleteThanks alot :)
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