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*** मगन धुन ***
चल तेरे साथ चलें।
थोड़ा करके श्रृंगार चले ,
फिर अपना आँचल लहरा के चले।
माथे पे बिंदिया सजाके चले ,
चल तेरे साथ चले।।
थोड़ा करके श्रृंगार चले ,
फिर अपना आँचल लहरा के चले।
माथे पे बिंदिया सजाके चले ,
चल तेरे साथ चले।।
फिर सबकुछ हम भूला के चले ,
सारे ज़ख्मो को अपने छुपा के चले।
मुँह में पान दबा के चले ,
फिर तुझको थोड़ा रिझा के चले।
चल तेरे साथ चले।।
अपनी पूरी मस्ती में चले ,
आंखों में तुझको छुपा के चले।
फिर दिल अपना हम लुटा के चले ,
तुझ को तुझसे ही चुरा के चले।
चल तेरे साथ चले।।
तोड़ते सारे दायरों को चले ,
अपना हम तुझको बना के चले ।
आसमा को कदमो में लाके चले ,
चल तेरे साथ चले ।।
करलू पूरी अपनी मनमानी ,
छोड़ू पीछे दुनियादारी ।
फिर अपनी मगन धुन में चले ,
चल तेरे साथ चले ।।
Osm dear
ReplyDeleteBadiya
ReplyDeleteNeelu...
ReplyDeleteI appreciate your efforts...it's really 👌
Thanks dear..
Deletenice poem......k
ReplyDeleteपंक्तियों को क्या खूब संजोया है।
ReplyDeleteसतीश।
Dil se dil tak very nice poem
ReplyDeleteVery nice 👍🏼👌
ReplyDeleteLove ur poetry💖💖
ReplyDeleteAb tak aapne bataya nahi kaha chale 🙄!?
ReplyDeleteOne of your best poems. Loved it Very much❤
ReplyDeleteYou are a real gem.
Dilpreet
Shukriya jii
DeleteThanku all for your wishes :)
ReplyDeleteआप बहुत ही सुन्दर शब्दो पिरोती है मुझे आप जेसे लोगो पर गर्व है
ReplyDeletethnx
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