है इतनी सी बात, फिर ना होगी मुलाकात
तेरे रास्ते नहीं मेरे रास्तों के साथ |
हैं तेरी अपनी ज़रूरते बड़ी,
हूं शायद नहीं में उनमे कहीं |
एक दोस्ती भी तो निभ न सकी,
और क्या उम्मीद थी मेरी इससे बड़ी ||
by Vinita
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आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...
Kuch to ha aapke likhne me to in poems se hum ko pyr ho rha hai
ReplyDeleteshukriya
DeleteKYAA BAAT -E
ReplyDeletethank u
Deleteबहुत खूब लिखा है आपने। कम शब्दों में बहुत ही सटीकता के साथ बहुत बड़ी बात कह दी है।
ReplyDeleteसतीश।
thanx satish
DeleteWaah kya baat 👌👍🏼
ReplyDeletethnx
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