कान्हा तुझ संग जो प्रीत लगी ।
ये दुनियादारी सब झूठ लगे !
होता तुझपे ऐतबार मुझे !
अबतो अपनी शरण में लेलो ।
भगवन ! मुझको भी दर्शन देदो ।।
Kindly Listen Short Bhajan On Shri Krishna
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कान्हा तुझ संग जो प्रीत लगी ।
ये दुनियादारी सब झूठ लगे !
होता तुझपे ऐतबार मुझे !
अबतो अपनी शरण में लेलो ।
भगवन ! मुझको भी दर्शन देदो ।।
Kindly Listen Short Bhajan On Shri Krishna
जीवन सफ़र |
किसी को मिली धूप
तो किसी को छाँव मिल गयी ,
किसी को हरयाली ज़मीन
तो किसी को बंज़र मिल गयी ।
दोष तो किसी का नहीं
ये तो वक़्त की माया है
कभी नाँव पानी में
कभी नाँव में पानी समाया है ।
किसी ने पाए मोती
तो किसी को मिली रेत
गहरा ये जीवन समुन्दर
बस नसीबो का है खेल।
किसी की नैया डूबी
तो किसी की पार लग गयी
कभी खुशियां रही मुट्ठी में
तो कभी रेत सी फिसल गयी
है बस एक मिटटी की काया !
जिसपे तू इतना इतराया
और कुछ नहीं है पास तेरे ,
जो है बस ईश्वर का साया !!
झूला |
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हर दिन का खेला
बच्चो का झूला
होता जिसका इंतज़ार
एक लम्बी कतार
सुबह से दोपहर
दोपहर से शाम
बस खेलना और खेलना
न एक पल का आराम
बार बार गिरना
मिटटी का झड़ना
पूरे दिन की मस्ती
किताबों से कट्टी
याद रह जाएँगी
बचपन की यादें
वो पार्क का झूला
भागना और छुपना
माँ का बुलाना
फिर नया बहाना
घर जाके पिटना
रोना और चिल्लाना
बस अब नहीं खेलेंगे
बार बार दोहराना
सबकी माँ अच्छी है
बस आप ही ख़राब
देखो फिर भी करता हूँ
माँ , मैं आपसे प्यार !
चुप है और चंचल भी ,
लगती हंसमुख कुछ अपनी सी
एक अनकही कहानी है ,
ये लड़की जानी पहचानी है ।
है एक पहेली सी !
रहती है शरमायी सी
अपने को खुद में समेटे हुए
दिखती है हर शाम मुझे ।
एक नया रंग लिए हुए । ।
आवाज़ है सुनी हुई
एक झंकार ली हुई ,
आँखें भी है ठहरी हुई ,
कुछ मुझसे कहती हुई ।
सोचता हूँ पूछ लू !
क्यों इतनी ख़ामोशी है ,
है किसी का इंतज़ार !
या फिर यही ज़िन्दगी है ।।
krishna Bhakti |
तेरी राह पे जबसे है चल पड़े !
बस कदम मेरे तेरी और बढ़े ।
कोई पूछे अगर के जाना कहाँ ?
कह दू वृन्दावन मैं धाम तेरा ।
है कैसी कशिश तुझमे ये तो बता ?
ध्यान रहे तुझपे क्यू मेरा सदा !
देखती तुझको मैं रह जाऊ !
सौंप तुझको सब निश्चिन्त हो जाऊ ।
लीन हो जाऊ तेरी भक्ति में मैं ,
और इंद्रधनुषी रंगो में तेरे रंग जाऊ ।
मन चाहे तेरी शरण में रह जाऊ !
बनु रज तेरे चरणों की और तर जाऊ । ।
Kinare |
फासले किनारों के बस यूँ ही बढ़ गए
एक दूसरे से मिलने की चाह में
कितने आगे निकल गए ।
गहराई भी तो नापी न गयी नदी की कभी
कोशिशे की भी तो बस रेत हाथ लगी ।
एक सोच का फर्क जो बदल न सका
कमी तो पुल की थी जो कोई बन न सका ।
खाइशें किनारों की आखिर बदल गयी
किस्मत के आगे उनकी न चली ।
अबतो नदी के किनारे भी बदल गए
जो पहले किनारे रहते थे ,
वो अब किनारे कर गए । ।
#Short video on Kinaare...
NASHA PARHEJ |
भटक गया मैं अपनी राह से
ख़ुशी और गम मे !
आ गया बातों मे दोस्तो
पिछड़ गया अपने लक्ष्य से ।
खो गया सिगग्रेट के धुएँ
और ताश के पत्तो मे !
डुबो दिया खुद को मैंने
शराब की लत मे ।
रहना था नशे से दूर
इसके ही करीब हो गया !
चौपट कर भविष्य अपना
एक नसेड़ी बन गया ।
धूम्रपान की आदत ऐसी लगी मुझे
फिर न किसी की बात सही लगी मुझे !
घर परिवार से दूर लड़खड़ाता मैं रहा
अनजान सड़कों पे न जाने कब सो गया।
कहाँ गिरा पता नहीं
जो चोट लगी उसका अंदाज़ा नहीं !
हर दिन एक नया झूठ बोल के
में अपनी नज़र से ही गिर गया ।
गलती अपनी न सुधार सकूँ
ना किसी का आदर्श बन सकूँ !
नशे से हो गया साथ मेरा !
जो उतरने से पहले ही चढ़ गया ।
घर ग्रहस्ती सब ख़तम हुई
इज़त मेरी बेइज़्ज़ज़त हुई !
पत्नी बच्चे है सब दुखी
अपनी ज़िन्दगी मैंने खुद बर्बाद की ।
हूँ आगे बहुत निकल चुका !
नशे में डूबा हुआ
सही गलत में फरक नहीं
अब रहा मैं सामाजिक नहीं ।
है सबके लिए सन्देश मेरा
जो हाल हुआ मेरा वो अपना न करना
आगे है हम सबको बढ़ना
नशे की आदत से परहेज़ करना ।
है अपने जीवन को सुखमय बनाना
शराब और सिगरेट से दूर हरहना ।
बनो एक जिम्मेदार तुम
निभाओ बेटे का फ़र्ज़ तुम ।
किस्मत से मिला है ये जन्म
बनो किसी का सहारा तुम ।
कुल का दीपक वही है जो
नाम करे अपने कुल का !
श्रवण कुमार न बन सको तो क्या
अहम् है काबिल इंसान बनना ।
हो फ़क्र बेटे पर जिस माँ को
ऐसी तुम संतान बनो ।
किसी के राहों का दीपक बन
जीवन अपना सफल करो । ।
कमज़ोर डोर |
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कहनी थी तुमसे बात जो, वो अधूरी रह गयी
खाई थी जो कसम वो कसम भी रह गयी
सवाल ऐसे थे के कुछ कह न सके हम
जो कटी रात आंखों में वो रात रह गयी
गलतफैमियूं का इलाज कर न सके हम
जो सच थी बात वो अनकही ही रह गयी
क्या खबर थी के धोखा होगा हमें
आइना भी चेहरा अलग दिखायेगा हमें
पछतावा है अपने अभिमान पे हमें
मान रहे थे जिसे अपना वही सजा देगा हमें
ऐसी भी क्या मजबूरी कभी बात न हुई
दूरी इतनी भी न थी के तय न हुई
रिश्ता तो क्या निभता यार अपना !
डोर तो पहले ही कमज़ोर थी गांठ और पड़ गयी।
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आंखों को तुझे देखने की आदत सी हो गयी !
हर दिन तेरे साथ गुज़रे ये फरियाद हो गयी ।
अब जी न सकेंगे यार तेरे बैगर
तू मेरे जीने की वजह जो हो गयी ।
ये कैसा प्यार हुआ मुझको मेरे यार ?
के खुद को भूलने की बात आम हो गयी ।
तेरी ही फ़िक्र में बीते मेरे तो दिन और रात !
ज़िक्र तेरा ही हो चाहे रहूं किसी के साथ ।
तेरे होने से जो चेहरे पे मुस्कान है मेरे !
तेरी कही हर बात मेरे लिए ख़ास हो गयी।
बिगड़ गयी आदते मेरी साथ रह के तेरे !
आदतों को मेरी तेरी आदत जो पड़ गयी । ।
हो जैसे फूलो संग खुशबू और सावन संग बरसात ,
वैसे ही मैं भी तेरे संग रह गयी । ।
Aadat - Of Love |
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एक बार फिर बता दे मुझे ,
है कितना प्यार मुझसे जता दे मुझे ।
माना के ज़रूरत नहीं दिखावे की तुझे !
फिर भी दिल बहलाने के लिए बता दे मुझे ।
जानती हूँ ! दुआओं में तेरी में ही तो हूँ !
क्यू न फिर एक बार खुदा से मांग ले मुझे ।
है तनहा तू भी इस जहान में !
आ साथ दे मेरा और अपने गम देदे मुझे ।
ये इश्क़ ही तो ज़िन्दगी है जो जी रहे है हम !
भूल जा इसमें खुद को और गले लगा ले मुझे ।।
इन दूरियूं को अपनी नज़्दीकियूं में बदल दे !
और बाकी की ज़िन्दगी आ मिल के जी ले ।।।।
Bataa De Mujhe |
Short Poetry On Past
क्या खबर थी की ऐसा वक़्त होगा
जो सोचा न कभी वो हक़ीक़त होगा ,
जो रहता था आंखों के सामने हमेशा
वो आज एक बीता हुआ कल होगा !!
कॉंच का टुकड़ा |
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ये दर्पण मुझसे अब खेलने लगा
बीते समय में मुझे ले जाने लगा
हटती नहीं है नज़र इससे अब
मुझे मेरे अतीत से मिलाने लगा ।
कभी माँ की ममता से मिला दिया
और पलकों को मेरी भिगो दिया।
कभी बचपन मुझे फिरसे दिखा दिया
जिसको भूले मुझे एक ज़माना हुआ ।
कभी पुराने दोस्तो से मिला दिया
बिंदास ज़िन्दगी को दिखा दिया।
कोई हसीं खवाब जैसे में देखने लगी
फिर न आईना से मेरी नज़रे हटी।
मुस्कुराती हुई एक छवि भी दिखी
साथ रहने के जिसके संग कस्मे हुई
कैसे बीते थे दिन कैसे बीती थी रात
दर्पण भी खुश था देख के ऐसा प्यार।
एक सजी हुई दुल्हन भी मुझको दिखी
भूल बाबुल का घर जो पी घर चली।
जो बंधी थी बस प्यार के बंधन से ही
जानती थी बस प्रेम की भाषा को ही।
थे अरमान जिसके बस मिलके चले
बीती ज़िन्दगी को भूल बस खुश रहे।
क्या पता था अंजाम क्या होगा ?
शीशा जिसके साथ खेल रहा था
वो एक कॉंच का टुकड़ा होगा।
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हर शाम साथ गुज़ारी है
ज़िन्दगी थोड़ी नहीं पूरी तूने बिगाड़ी है
और कितनी तारीफ करे दोस्त तेरी हम
एकसाथ रहने के लिए मार भी हमने खाई है
हर दिन एक नया झूठ बोला है
दोस्ती को कभी न तोला है
तेरे साथ रहने के लिए दोस्त मेरे
हॉलिडे को भी वर्किंग बोला है
इतनी शिद्दत से तो पढाई न की कभी
जितनी शिद्दत से निभी दोस्ती अपनी
माना शिकायत रही सबको हमसे बहुत
फिर भी बरक़रार रही दोस्ती अपनी
साथ रहे हम हमेशा
दुआँ है यही
बस दोस्ती को अपनी
कभी नज़र लगे नहीं ।
ये कैसी मोहब्ब्बत है ?
अब , इससे हमें शिकायत है।
क्यू इसका दुःख हमें दुखी करे ?
ये कैसी इसकी चाहत है ?
चेहरा तेरा आंखों में बसे
ख्याल तेरा मेरे दिल में रहे।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी ?
जितना भूलू इसे !
उतनी तेरी याद आए ।।
दुष्मन भी टेके घुटना अपना।
जिसके लाल ने - देश के लिए - दी अपनी जान है।
भारत देश करे तुझको नमन।।
बीते जो लम्हे साथ में वो भूल कैसे पाएंगे ,
जितना दूर जायेंगे उतना ही याद आएंगे ।
चाहेंगे जो कभी भूलना तो मुमकिन ना कर पाएंगे ,
पहुंचेंगे उसी मोड़ पे जहाँ से लौट नहीं पाएंगे ।
मिलना तो एक खवाब है जो पूरा न हो सकेगा ,
वैसे ही जैसे कस्तूरी को मृग ढूंढता फिरेगा।
एक चाह रह जाएगी बस तेरे पास ,
झूठी ही सही दिला देना आस ।।
कह देना के मिलना होगा फिर एक बार ,
वैसे ही जैसे रहता है एक तारा चाँद के पास ।।।।
मेरे इश्क़ ने तुझे खुदा बना दिया !
जो कह न सके किसी से कभी ,
तुझसे कह दिया !
अब और क्या कहे हमसफ़र मेरे ,
तेरी चाह में हमने खुद को भुला दिया।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है।
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है । ।
छोटी सी ज़िन्दगी में कितना नाराज़ रहोगे ?
आ जाओ सुलह करलो हमेशा याद रहोगे।
ऐसी भी क्या बात जो इतना खफा हो !
इंतज़ार हुआ बहुत बस अब न सजा दो।।
हर शुरुवात कठिन होगी
हर रास्ते पे ठोकरे होंगी।
है इसी का नाम ज़िन्दगी !
आगे बढ़ के ही जीत हासिल होगी । ।
Kindly watch short video on Motivational Quote
क्यों इतना मजबूर है
हाथ कलम है मेरे पर शब्दों से दूर है ।
क्यों इतना मजबूर है
रास्ता तो है पर मंज़िल से दूर है ।
क्यू इतना मजबूर है
करीब है तेरे पर नज़रों से दूर है।
क्यों इतना मजबूर है
मोहब्बत है पर इज़हार से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
मोती की तरह सीप से दूर है । ।
क्यों इतना मजबूर है
तू मुझमे है पर हम खुद से दूर है । । ।
फेयरवेल - विदाई समारोह |
सर जी , ...................
आपके साथ बीते जो दिन वो यादगार बन गए
आपका साहसी , संकल्पी और दृढ़ निश्चयी अंदाज़
आपकी पहचान बन गए
स्टाफ के साथ मिलके रहना
आशावादी होना और हमेशा खुश रहना
आप तो दूसरों के लिए मिसाल बन गए।
आँखें है नम और सबको है गम
आपका साथ हमारे लिए था एक उजली किरण
पारस हो आप , चेहरे पे एक तेज लिए हुए
कम न हो जिसका शौर्य ऐसी हस्ती लिए हुए ।
आपके साथ काम किया ये किस्मत है हमारी
फेयरवेल के दिन आपके है विनती हमारी
हो आपकी उन्नति हमेशा और मिले कामयाबी
सर , आपको सलाम है
आपके साथ काम करना हम सबके लिए अभिमान है
धन्यवाद
दुःख - दर्द |
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ये दर्द सुकून देता है
ये तकलीफ भली लगती है
इस दुःख से शिकायत कैसी ,
ये ख़ुशी जान लेती है।
ये दर्द जिया है मैंने
इसकी अब मुझको आदत है
न जाने ख़ुशी कैसी होगी ,
जो सिर्फ सुनाई देती है।
हाँ , जी है मैंने थोड़ी से
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी
फिर भी दुःख का मज़ा लिया ,
जो मुझे छोड़ कभी गया नहीं।
ये दुःख भी बहुत जरूरी है
जो सुख को परिभाषित करता है
बिन दुःख के सुख का मूल्य नहीं ,
जो सुख का अनुभव कराता है |
में सुखी खुद को समझाता हूँ
जो दुःख मेरे संग रहता है
में इसको खूब समझाता हूँ ,
ये मुझको खूब समझता है ।
मैंने अब इससे दोस्ती कर ली
ये मुझको प्यारा लगता है
ये नहीं रहता जब पास मेरे ,
कुछ खाली खाली लगता है
दोस्तों सच पूछो तो
दुःख मेरा सच्चा साथी है
मेरे सारे संगी छूट गए !
बस इसकी यारी बाकी है।
ये सुख मुझे ख़ुशी क्या देगा ,
जब दुःख का पलड़ा भारी है ।।
MisVi Poetry |
अयोध्या- सियाराम कथा |
हुआ राम सीता का ऐसा मिलन !
देख कर रह गए सब उनको मगन ।
रूप का एक सागर माँ जनक नंदनीं
और कमल नयन अपने श्री राम जी । ।
हुआ ब्याह राम जी का सीता के संग
पर संजोग ऐसा , मिला चौदह साल का वन !
सिया राम संग लक्ष्मण भी वन को चले ।
छोड़ कर मोह , माया और अयोध्या को तज । ।
आज नहीं तो कल बनेंगे मेरे बिगड़े काम भोलेनाथ पे विश्वास मुझे है वो सुनते मन की बात देर है पर अंधेर नहीं जाने सब संसार परम पिता परमेश्वर ...